मधुबनी कला को समेटती, संवारती और समृद्ध करतीं गोदावरी को मिला पद्मश्री
मधुबनी कला को समेटती, संवारती और समृद्ध करतीं गोदावरी को मिला पद्मश्री
पांच दशक से इस कला को समेटती, संवारती और समृद्ध करतीं गोदावरी को अब जब पद्मश्री मिला है तो वे कह रही हैं कि मेरी तपस्या को मिला है फल…
गोदावरी दत्त का जन्म एक निम्न मध्यम वर्गीय कायस्थ परिवार में दरभंगा के लहेरियासराय में 1930 में हुआ था. इनका विवाह मधुबनी के रांटी गांव में उपेन्द्र दत्त से हुआ. जहां से उनकी पेंटिंग्स की यात्रा शुरू हुई. इससे पहले भी दत्त को दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.मिथिला की शान हैं गोदावरी दत्त। 90 साल की उम्र है लेकिन जोश और समर्पण बरकरार है। मधुबनी कला को घर की दीवारों से निकाल कर अंतरराष्ट्रीय पटल पर लेकर आने में उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। पांच दशक से इस कला को समेटती, संवारती और समृद्ध करतीं गोदावरी को अब जब पद्मश्री मिला है तो वे कह रही हैं कि मेरी तपस्या को मिला है फल….