मदर्स डे -“दुनिया में जब भी कोई बात होगी, बस और बस माँ से ही शुरुआत होगी”
12 मई 2019 “मदर्स डे”
आज मदर्स डे के इस पावन अवसर पर DAD Think Labs उन करोड़ो माँओं को कोटि- कोटि शुभकामनाएं दे रहा है और अपनी बात मुनवर राणा की इन पंक्तिओं से करना चाहता है ….” लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती ,बस एक माँ है जो कभी मुझसे खफा नहीं होती”
माँ एक सम्पूर्ण दुनिया है जो हम सबमे काफी गहराई तक समाया एक एहसास है I
माँ शब्द भले ही बोलने में बहुत छोटा हो ऐसा लगता है बोलते ही खत्म हो जाये पर इसकी व्यापकता बहुत विशाल है, जिसको समझने के लिए शायद पूरी जिंदगी भी कम पड जाये, क्यूंकि एक बच्चे के जन्म लेते ही माँ की सम्पूर्णता पूरी होती है, और उस बच्चे को उसकी पहली और सबसे बड़ी दुनिया का बोध होता हैI एक बालक जब जन्म लेता है तो उसके लिए उसकी दुनिया बिल्कुल नयी होती है पर उसका रोना तभी शांत होता है जब माँ का पहला स्पर्श होता है, उसकी भूख तभी शांत होता है जब दूध का पहला घूँट उसके पेट में जाता है, उसे ये एहसास होने में तनिक भी देर नहीं होता की जिसने उसे जन्म दिया है वो है ना, उसका ख़याल रखेगी, माँ एक खुले आसमान के निचे छत की तरह है जो धूप ,बरसात ,गर्मी ,सर्दी और दुनिया की हर बला से सबसे पहले निपटेगी फिर अपने आप को देखेगी ,एक माँ चाहे कितनी भी भूखी क्यों न हो पर सबसे पहले अपने औलाद को निवाला खिला कर ही कुछ खायेगी, माँ के इसी त्याग और ममता के कारण हम उसे भगवान् के समान मानते हैं। आज मातृ दिवस या मदर्स डे के पावन अवसर पर DAD Think Labs उन असंख्य ममता की देवियों को नमन करता है और एक बेहतरीन और विकासोन्मुख भारत बनाने में उनकी सहभागिता के लिए पूरे दिल से नमन और आभार व्यक्त करता है.
आज DAD Think Labs माँ को ब्रम्हांड का सबसे बड़े पालनकर्ता , चित्रकार, डिज़ाइनर और रचयिता से सबको अवगत करना चाहता है। थॉमस एडिसन जब छोटे थे तो पढ़ने में बहुत कमजोर थे हमेशा उलटे सीधे काम किया करते थे, पर उनकी माँ को पता था कि उनके बेटे का विवेक और बौद्धिक क्षमता और बच्चो जैसा नहीं है। उनके जन्म से पर माँ ने इससे हार नहीं मानी और प्रण किया की चाहे जो भी हो पर अपने बेटे को दुनिया से लड़ने के लिए तैयार करेगी। थॉमस एडिसन जब स्कूल जाने लगे तो उनके टीचर उन्हें रोज़ डांटा करते थे कि अगर तुमने अपना पढाई का स्तर नहीं सुधारा तो हम तुम्हे स्कूल से निकल देंगे और आख़िरकार हुआ भी वैसा ही उनके टीचर ने उनके रिपोर्ट कार्ड पर लिखा की आपका बच्चा अभी इस कक्षा और हमारी पढ़ाई के लायक नहीं है। उस नन्हे थॉमस एडिसन ने माँ को रिपोर्ट कार्ड दिखाया और पूछा की इसमें क्या लिखा है ? उसमे लिखा था कि आपका बच्चे का दिमागी विकास अभी उतना नहीं और वो क्लास में फेल हो रहा है इसलिए हम उसका नाम काट रहे हैं आप इसे कहीं और पढाईये , माँ ने जवाब दिया की इसमें लिखा है की आपका बच्चा इतना विलक्षण है की हमारा ये संसथान इसके अद्वितीय विलक्षण के लायक नहीं है इसलिए आप इसे किसी और बड़े स्कूल में पढाईये , माँ ने हार नहीं मानी और अपने घर पे ही पढ़ाना शुरू किया। माँ की मृत्यु के बाद जब वो एक बहुत बड़े वैज्ञानिक बन गए तो उन्होंने लिखा की “ By a hero mother, became the genius of the century.” तो एडिसन ने दुनिया को बता दिया की एक माँ ही है, जो बिना हारे बिना रुके इस दुनिया की बात को साबित कर सकती है उसकी शिक्षा में वो दम है जो एडिसन को महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन बना सकती है।
आज इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई इतना व्यस्त है, कि किसी के पास एक पल का समय नहीं की वो माँ से ये तो पूछे की देखभाल में कोई कमी तो नही है, मुझसे जाने अनजाने में कोई गलती तो नहीं हो गयी है।
माँ, अम्मा, या मम्मी नाम से पुकारिये ममता का एहसास सबमे बराबर ही होगा। आज मातृ दिवस जो की हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, इसकी शुरुआत एक अमरीकी सामाजिक कार्यकर्ता ऐना जार्विस जिनकी माँ ने अक्सर इस तरह की छुट्टी की स्थापना की इच्छा व्यक्त की थी, और अपनी माँ की मृत्यु के बाद, जार्विस ने स्मरणोत्सव के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया और 1908 में यह पहली बार मनाया गया। 1 मई 1914 को बाकायदा एक कानून बनाकर अमरीका में लागु हुआ और बाद में फिर पूरे विश्व में मदर्स डे मनाया जाने लगा।
माँ यानि हमारी जिंदगी का आधार,हमारी सबसे बड़ी ताक़त , मुश्किल चाहे छोटी हो या बड़ी जुबान पर सबसे पहले माँ ही आता है। यकीन भी ऐसा की माँ है ना सब संभाल लेगी।
एक बार आईये सब मिलकर यह प्रण करे की माँ को माँ ही रहने दे इसकी ममता की शुद्धता में कोई कमी ना हो।
Jai Hind
12 मई 2019 “मदर्स डे”
आज मदर्स डे के इस पावन अवसर पर DAD Think Labs उन करोड़ो माँओं को कोटि- कोटि शुभकामनाएं दे रहा है और अपनी बात मुनवर राणा की इन पंक्तिओं से करना चाहता है ….” लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती ,बस एक माँ है जो कभी मुझसे खफा नहीं होती”
माँ एक सम्पूर्ण दुनिया है जो हम सबमे काफी गहराई तक समाया एक एहसास है I
माँ शब्द भले ही बोलने में बहुत छोटा हो ऐसा लगता है बोलते ही खत्म हो जाये पर इसकी व्यापकता बहुत विशाल है, जिसको समझने के लिए शायद पूरी जिंदगी भी कम पड जाये, क्यूंकि एक बच्चे के जन्म लेते ही माँ की सम्पूर्णता पूरी होती है, और उस बच्चे को उसकी पहली और सबसे बड़ी दुनिया का बोध होता हैI एक बालक जब जन्म लेता है तो उसके लिए उसकी दुनिया बिल्कुल नयी होती है पर उसका रोना तभी शांत होता है जब माँ का पहला स्पर्श होता है, उसकी भूख तभी शांत होता है जब दूध का पहला घूँट उसके पेट में जाता है, उसे ये एहसास होने में तनिक भी देर नहीं होता की जिसने उसे जन्म दिया है वो है ना, उसका ख़याल रखेगी, माँ एक खुले आसमान के निचे छत की तरह है जो धूप ,बरसात ,गर्मी ,सर्दी और दुनिया की हर बला से सबसे पहले निपटेगी फिर अपने आप को देखेगी ,एक माँ चाहे कितनी भी भूखी क्यों न हो पर सबसे पहले अपने औलाद को निवाला खिला कर ही कुछ खायेगी, माँ के इसी त्याग और ममता के कारण हम उसे भगवान् के समान मानते हैं। आज मातृ दिवस या मदर्स डे के पावन अवसर पर DAD Think Labs उन असंख्य ममता की देवियों को नमन करता है और एक बेहतरीन और विकासोन्मुख भारत बनाने में उनकी सहभागिता के लिए पूरे दिल से नमन और आभार व्यक्त करता है.
आज DAD Think Labs माँ को ब्रम्हांड का सबसे बड़े पालनकर्ता , चित्रकार, डिज़ाइनर और रचयिता से सबको अवगत करना चाहता है। थॉमस एडिसन जब छोटे थे तो पढ़ने में बहुत कमजोर थे हमेशा उलटे सीधे काम किया करते थे, पर उनकी माँ को पता था कि उनके बेटे का विवेक और बौद्धिक क्षमता और बच्चो जैसा नहीं है। उनके जन्म से पर माँ ने इससे हार नहीं मानी और प्रण किया की चाहे जो भी हो पर अपने बेटे को दुनिया से लड़ने के लिए तैयार करेगी। थॉमस एडिसन जब स्कूल जाने लगे तो उनके टीचर उन्हें रोज़ डांटा करते थे कि अगर तुमने अपना पढाई का स्तर नहीं सुधारा तो हम तुम्हे स्कूल से निकल देंगे और आख़िरकार हुआ भी वैसा ही उनके टीचर ने उनके रिपोर्ट कार्ड पर लिखा की आपका बच्चा अभी इस कक्षा और हमारी पढ़ाई के लायक नहीं है। उस नन्हे थॉमस एडिसन ने माँ को रिपोर्ट कार्ड दिखाया और पूछा की इसमें क्या लिखा है ? उसमे लिखा था कि आपका बच्चे का दिमागी विकास अभी उतना नहीं और वो क्लास में फेल हो रहा है इसलिए हम उसका नाम काट रहे हैं आप इसे कहीं और पढाईये , माँ ने जवाब दिया की इसमें लिखा है की आपका बच्चा इतना विलक्षण है की हमारा ये संसथान इसके अद्वितीय विलक्षण के लायक नहीं है इसलिए आप इसे किसी और बड़े स्कूल में पढाईये , माँ ने हार नहीं मानी और अपने घर पे ही पढ़ाना शुरू किया। माँ की मृत्यु के बाद जब वो एक बहुत बड़े वैज्ञानिक बन गए तो उन्होंने लिखा की “ By a hero mother, became the genius of the century.” तो एडिसन ने दुनिया को बता दिया की एक माँ ही है, जो बिना हारे बिना रुके इस दुनिया की बात को साबित कर सकती है उसकी शिक्षा में वो दम है जो एडिसन को महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन बना सकती है।
आज इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई इतना व्यस्त है, कि किसी के पास एक पल का समय नहीं की वो माँ से ये तो पूछे की देखभाल में कोई कमी तो नही है, मुझसे जाने अनजाने में कोई गलती तो नहीं हो गयी है।
माँ, अम्मा, या मम्मी नाम से पुकारिये ममता का एहसास सबमे बराबर ही होगा। आज मातृ दिवस जो की हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, इसकी शुरुआत एक अमरीकी सामाजिक कार्यकर्ता ऐना जार्विस जिनकी माँ ने अक्सर इस तरह की छुट्टी की स्थापना की इच्छा व्यक्त की थी, और अपनी माँ की मृत्यु के बाद, जार्विस ने स्मरणोत्सव के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया और 1908 में यह पहली बार मनाया गया। 1 मई 1914 को बाकायदा एक कानून बनाकर अमरीका में लागु हुआ और बाद में फिर पूरे विश्व में मदर्स डे मनाया जाने लगा।
माँ यानि हमारी जिंदगी का आधार,हमारी सबसे बड़ी ताक़त , मुश्किल चाहे छोटी हो या बड़ी जुबान पर सबसे पहले माँ ही आता है। यकीन भी ऐसा की माँ है ना सब संभाल लेगी।
एक बार आईये सब मिलकर यह प्रण करे की माँ को माँ ही रहने दे इसकी ममता की शुद्धता में कोई कमी ना हो।